‘हिमाचलदर्शनम्’ नामक महाकाव्य में वर्णित ऋषि-परम्परा का विवेचन

  • Shubham Dikshit शोध छात्र, पतंजलि विश्वविद्यालय हरिद्वार, संबद्ध - पतंजलि विश्वविद्यालय, हरिद्वार, उत्तराखण्ड, भारत

Abstract

भारतीय संस्कृति ऋषि-परम्परा से अनुप्राणित है, न केवल वैदिक ग्रन्थों में अपितु अनेक लौकिक संस्कृत साहित्य के ग्रन्थों में भी ऋषि-पराम्परा के प्रमाण मिलते हैं। ऋषियों के बिना भारतीय संस्कृति के अस्तित्व की परिकल्पना करना असम्भव है।
वर्तमान काल में संस्कृत महाकाव्यों के लेखन की परम्परा अवरुद्ध प्रायः प्रतीत होती है। इस संस्कृत महाकाव्य लेखन परम्परा में सितम्बर 2019 में एक संस्कृत महाकाव्य प्रकाषित हुआ है जो आषुकवि के रूप में विख्यात डॉ. मनोहरलाल आर्य द्वारा विरचित है।1 इस महाकाव्य में हिमाचल-प्रदेश का समग्र वर्णन 12 सर्ग़ों में काव्यशैली में प्रस्तुत किया गया है। इसमें अनेक स्थलों पर वैदिक ऋषियों का वर्णन उपलब्ध होता है, जिनका विवेचन करना इस शोधलेख का वर्ण्य विषय है।


DOI: https://doi.org/10.24321/2456.0510.202102

References

1. हिमाचलदर्शनम् (संस्कृतमहाकाव्यम्) डॉ. मनोहरलाल आर्यः, प्रणवप्रकाशन, काँगडा, हिमाचल-प्रदेश।
2. नि.रू.- 2.11
3. नि.रू.- 1.20
4. नि.रू.- 2.37
5. हि.द.- 2.8
6. हि.द.- 2.9
7. हि.द.- 3.3
8. हि.द- 3.3-5
9. हि.द.- 3.57
10. हि.द.- 5.63
11. हि.द.- 6.48
12. हि.द.- 6.63
13. हि.द- 6.99
14. हि.द.- 6.100
15. हि.द.- 7.90
16. हि.द.- 7.101
17. हि.द.- 8.50
18. हि.द.- 9.51
19. हि.द.- 9.52-53
20. हि.द.- 9.53, 9.64-82 श्लोक।
21. हि.द.- 12.52
22. हि.द.- 12.53 से 55 श्लोक।
23. हि.द.- 12.56-69 श्लोक।
Published
2022-02-18
How to Cite
DIKSHIT, Shubham. ‘हिमाचलदर्शनम्’ नामक महाकाव्य में वर्णित ऋषि-परम्परा का विवेचन. Anusanadhan: A Multidisciplinary International Journal (In Hindi), [S.l.], v. 6, n. 3&4, p. 1-3, feb. 2022. ISSN 2456-0510. Available at: <http://thejournalshouse.com/index.php/Anusandhan-Hindi-IntlJournal/article/view/523>. Date accessed: 30 dec. 2024.