महाभारत में पर्यावरण पर दार्शनिक चिन्तन
Abstract
इस लेख में लेखक ने महाभारत काल के दौरान पर्यावरण संबंधी मुद्दों पर गहराई से प्रकाश डाला है। एक दार्शनिक दृष्टिकोण के माध्यम से, लेखक उस अवधि की पर्यावरणीय चुनौतियों का एक विश्लेषण प्रस्तुत करता है। प्राचीन महाकाव्यों पर प्रकाश डालने से इस बात पर गहन चिंतन उभरता है कि उस युग का समाज किस प्रकार पर्यावरणीय समस्याओं से जूझता था। लेखक महाभारत काल में प्रचलित पर्यावरण लोकाचार की एक ज्वलंत तस्वीर पेश करता है, जो प्रकृति के प्रति लोगों की मानसिकता में पुनर्मूल्यांकन की एक समृद्ध रूपरेखा पेश करता है। साथ ही लेखक उस समय की पर्यावरणीय चेतना को प्रभावी ढंग से सामने लाता है, तथा पारिस्थितिक विचार के संदर्भ में अतीत और वर्तमान के बीच एक पुल बनाता है। प्राचीन भारतीय समाज में पर्यावरणीय चुनौतियों का चित्रण हमारी वर्तमान पर्यावरणीय दुर्दशाओं और समय के साथ पर्यावरणीय विचारों के विकास को प्रतिबिंबित करने के लिए एक मूल्यवान पृष्ठभूमि प्रदान करता है।
References
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