भारत की महिमा कवियों की वाणी - कालिदास के सन्दर्भ में
Abstract
भारत एक प्राचीन भूमि है। इसकी महानता के बारे में जितना कहा जाए कम है। यहाँ का शांत व समृद्ध वातावरण मनुष्य को जीने का बेहतर मौका ही नहीं देता बल्कि उसे एक सही सोच से भी सम्पन्न करता है। भारत एक समृद्ध देश है जहाँ साहित्य, कला और विज्ञान के क्षेत्र में महान लोगों ने जन्म लिया है। यहाँ की संस्कृति विश्व की पुरानी संस्कृति है जिसका सभी अनुसरण करते है। वैसे तो भारत में अनेक कवियों-मनीषियों ने अपनी लेखनी से साहित्य को समृद्ध किया है एवं भारत की महिमा का बखान किया है किन्तु कालिदास जिन्हें कवि कुल गुरू, दीपशिखा कालिदास, कविशिरोमणि, उपमा कालिदास आदि संज्ञाओं से विभूषित किया गया है। उनकी वाणी व साहित्य रचना में भारत के गुणगान का हम यहाँ दर्शन करेंगे।समाज की सुव्यवस्था होने पर ही व्यक्ति अपनी आध्यात्मिक उन्नति कर सकता है। इस प्रकार समाज तथा व्यक्ति का परस्पर अभ्युदय भारतीय संस्कृति का चरम लक्ष्य है। भारत ने अपनी संस्कृति व सभ्यता को सदैव अक्ष्क्षुण रखा है। वह सदैव विश्व गुरू बन कर जगत को आदर्शों का पाठ पढ़ाता आया है और आज भी विश्व यहाँ की संस्कृति का अनुगम न करता है। लोगों को यह बताने से बेहतर बात और क्या होगी कि जो ख्वाब वे देखते है वे सच हो सकते। यह कि उनके पास वह सब कुछ हो सकता है जो अच्छे जीवन के लिए जरूरी है - स्वास्थ्य, शिक्षा अपनी मंजिल तक पहुँचने की आजादी और इन सबसे बढ़कर शांति।