योसानों अकीको की कविता और मातृत्व का नारीवादी दृष्टिकोण

  • Shweta Arora Department of Japanese Studies, National University Singapore, Singapore

Abstract

योसानों अकीको (1878–1942) आधुनिक जापानी साहित्य की एक प्रसिद्ध रचयिता थीं, जिन्हें विशेष रूप से उनकी कविता के लिए जाना जाताहै। यद्यपि उनकी गद्य रचनाओं और राजनीतिक विचारों से युक्त निबंधों में महिलाओं के अनुभवों की गहन समझ दिखाई देती है।यह लेखअकीको की कविता— दाइइचि नो जिन्त्सू – (“पहली प्रसव पीड़ा” 1915)—में प्रसव संबंधी विषय पर केंद्रित है। अकीको ने प्रसव को युद्ध यासार्वजनिक जीवन में पुरुषों द्वारा किए गए बलिदान के समकक्ष बताया, और इसके सामाजिक व राजनीतिक महत्व को रेखांकित किया। उनकेलेखन ने बीसवीं सदी की जापान में व्याप्त उन वर्जनाओं को चुनौती दी।जहाँ महिलाओं के दर्द और आत्म-अभिव्यक्ति को दबाया जाता था।अकीको ने प्रसव के शारीरिक और भावनात्मक सत्य को स्वर देकर महिलाओं की आवाज़ को साहित्यिक और राजनीतिक विमर्श में स्थानदिलाया। प्रस्तुत कविता साहित्य व समाज दोनों में महिलाओं की सक्रिय भूमिका को स्थापित करती है।

References

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Published
2025-07-08
How to Cite
ARORA, Shweta. योसानों अकीको की कविता और मातृत्व का नारीवादी दृष्टिकोण. Anusanadhan: A Multidisciplinary International Journal (In Hindi), [S.l.], v. 10, n. 1&2, p. 9-11, july 2025. ISSN 2456-0510. Available at: <http://thejournalshouse.com/index.php/Anusandhan-Hindi-IntlJournal/article/view/1422>. Date accessed: 10 july 2025.