तीन तलाक कानून का सामाजिक और राजनीतिक प्रभावः राजस्थान के संदर्भ में एक विश्लेषणात्मक समीक्षा

  • Raisa Bano Research Scholar, Department of Political Science, Lords University, Alwar, Rajasthan, India.
  • Snehlata . Research Supervisor, Department of Political Science, Lords University, Alwar, Rajasthan, India

Abstract

सारांशः तीन तलाक (तलाक-ए-बिदअत) कानून भारत में मुस्लिम महिलाओं के अधिकारों और सशक्तिकरण की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम के रूप में उभरा है। यह कानून न केवल एक धार्मिक कुरीति पर अंकुश लगाने का प्रयास है, बल्कि भारतीय संविधान में निहित समानता, न्याय और धर्मनिरपेक्षता के सिद्धांतों को भी सुदृढ़ करता है। प्रस्तुत समीक्षा-पत्र राजस्थान राज्य के विशेष संदर्भ में इस कानून के सामाजिक और राजनीतिक प्रभाव का विश्लेषण करता है।
अध्ययन में वर्णनात्मक एवं विश्लेषणात्मक शोध पद्धतियों का प्रयोग किया गया है। शोध हेतु प्राथमिक आंकड़े एक सुव्यवस्थित प्रश्नावली के माध्यम से एकत्र किए गए। कुल 35 उत्तरदाताओं से जानकारी प्राप्त की गई, जिनमें 15 पुरुष एवं 20 महिलाएं थीं। इन उत्तरदाताओं में 31 मुस्लिम, 3 हिन्दू तथा 1 अन्य धर्म से संबंधित उत्तरदाता शामिल था। सभी उत्तरदाता राजस्थान के मुस्लिम बहुल क्षेत्रों से चयनित किए गए थे। प्रश्नावली में सामाजिक, धार्मिक और विधिक पहलुओं से जुड़े प्रश्न शामिल थे, ताकि तीन तलाक पर लोगों की वास्तविक सोच, अनुभव और व्यवहार को समझा जा सके।


DOI:https://doi.org/10.24321/2456.0510.202501

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How to Cite
BANO, Raisa; ., Snehlata. तीन तलाक कानून का सामाजिक और राजनीतिक प्रभावः राजस्थान के संदर्भ में एक विश्लेषणात्मक समीक्षा. Anusanadhan: A Multidisciplinary International Journal (In Hindi), [S.l.], v. 10, n. 1&2, p. 1-8, june 2025. ISSN 2456-0510. Available at: <http://thejournalshouse.com/index.php/Anusandhan-Hindi-IntlJournal/article/view/1529>. Date accessed: 10 july 2025.